रात्रि महिमा

रात्रि महिमा

Sanjeevani Sen X B (2018 – 19)

टिम -टिमा रहे थे तारे ,
सो गए थे बच्चे सब सारे।
न कोई आवाज़,
न कोई शोर ;
पता नहीं –
वह उल्लू देख रहा था किसकी ओर ?

सूनी रात में नदी वह घूमी ;
वे पत्ते भी शीतल हवा के साथ झूमे ।
चाँद की रोशनी; वह खिड़की से झाँका –
जब बच्चों को उनकी नानी ने सुनाई चंदा मामा की गाथा।

नींद की पलकें झपके जो उन्होंने ,
न जाने कितने सपने वे देखे सुहाने।
वह रात का पक्षी जब गा रहा था अपना गीत –
बच्चे ,बड़े ,बूढ़े ,सब;
स्मरण कर रहें थे अपनी जीत।

सो रहे थे सब सारे ;
प्रातः काल में उठना था सबको।
काम करना था उन्हें पूरे तन -मन से ,
ताकि न रहे कोई ग़म –
उनके मन को ।।

मेरा भाई

Shivangi Dasgupta, IV B (2018 - 19)

तितली

Aarvi Arya, III F (2018 - 19)

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